सूचक क्या है ? उदाहरण सहित समझे – Suchak Kya Hai

Suchak Kya Hai :- यदि आप एक छात्र हैं और आप school में या फिर college में पढ़ते हैं, तो आपने कभी ना कभी तो सूचक के बारे में पढ़ा ही होगा या उसके बारे में सुना होगा, तो आपके मन में यह सवाल सूचक क्या होता है ?

तो आज के इस लेख में हम आपके इस सवाल का जवाब देंगे, जिससे कि आपको सूचक के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

आपने अपने साधारण जीवन में कभी ना कभी आपने अपने जीवन में सूचक का उपयोग किया होगा, तो आप सूचक के बारे में अवश्य जानते होंगे, और यदि आप सूचक के बारे में नहीं जानते हैं, तो कोई बात नहीं है।

आज के इस लेख में हम आपको सूचक के विषय में बताने वाले हैं,की ( Suchak kya hota hai ? ),सूचक कितने प्रकार का होता है, सूचक का कार्य क्या होता है, इत्यादि सूचक से जुड़ी जानकारियां प्रदान करने वाले हैं, तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं, अपना यह महत्वपूर्ण लेख एवं जानते हैं, सूचक से जुड़ी जानकारियां।


सूचक क्या होता है ? – Suchak kya hai

सूचक एक ऐसा पदार्थ होता है, जो हमें किसी भी वस्तु अथवा पदार्थ की प्रकृति के बारे में बताता है, यह एक प्रकार का रंजक होता है, जो अलग-अलग प्रकृति यों में अर्थात छाड़ के संपर्क में आने पर अलग रंग बदलता है तथा अम्ल संपर्क में आने पर अलग रंग बदलता है।

अर्थात हम अन्य शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि, सूचक हमें किसी भी पदार्थ की प्रकृति के बारे में जानकारी देता है की, पा वस्तु या पदार्थ किस प्रकृति का है अर्थात उस पदार्थ की प्रकृति क्षारीय है या अम्लीय है या फिर लवणीय है।


सूचक के प्रकार – Suchak ke kitne prakar hote hain

सूचक जो कि एक प्रकार का रंजक होता है यह केवल एक प्रकार का नहीं होता है बल्कि इसके 2 प्रकार होते हैं, जिसके बारे में हमने विस्तारपूर्वक जानकारी दी है, जो निम्नलिखित है:-

1. प्राकृतिक सूचक

प्राकृतिक सूचक वे सूचक होते हैं, यह नाम सुनकर आप समझ गए होंगे कि प्राकृतिक सूचक प्रकृति के द्वारा प्राप्त किया जाता है, अर्थात इन्हें प्रकृति से प्राप्त किया जाता है प्राकृतिक सूचक को कोई भी chemical, या अन्य कोई रसायन की चीजों से नहीं बनाया जाता सूचक प्रकृति के द्वारा ही बनाया जाता है, हमने कुछ प्राकृतिक सूचकों के नाम नीचे बताया है, जो निम्नलिखित है: –

लिटमस पेपर: –एक मसले पर एक प्राकृतिक सूचक है, जिसे एक वृक्ष ( लाइकेन ) से प्राप्त किया जाता है, लिटमस पेपर जल में घुलनशील होता है जल में बड़ी ही आसानी से घुल जाता है तथा यह एक प्रकार का रंग है जो फंगस तथा काय का सम्मिलित रूप है जिनका आपस में ही symbiotic relationship अर्थात सहजीवी संबंध होता है।

लिटमस पेपर को तैयार करने के लिए चन्ना पत्र या फिर स्वच्छता पत्र को लिटमस के अर्थ में भूगोल का रखा जाता है जिससे कि लिटमस पेपर तैयार होता है, साधारण लिटमस बैंगनी रंग का होता है परंतु लोग इसे अपनी भाषा में लाल रंग बोलते हैं।

प्रयोगशालाओं में लिटमस पेपर का प्रयोग indicator के तौर पर किया जाता है जो किसी भी पदार्थ की प्रकृति को दर्शाता है कि वह पदार्थ अम्लीय है या छारीय, लिटमस पेपर मुख्यता दो रंगों का आता है नीले रंग का तोता लाल रंग का।

जब नीले रंग का लिटमस पेपर अम्ल के संपर्क में आता है तो वह अपना रंग बदल कर लाल कर देता है, जिससे हमें उस पदार्थ की प्रकृति का पता चल जाता है, लेकिन जब लाल लिटमस पेपर को क्षार के संपर्क में लाया जाता है तो वह उसे नीला कर देती है, जिसे हमें उस पदार्थ के क्षारीय होने का पता लग जाता है।

लाल पत्ता गोभी: – लाल पत्ता गोभी का रस भी एक प्रकार का प्राकृतिक सूचक होता है, जिसका मूल रूप बैंगनी रंग का होता है, लाल पत्ता गोभी के पत्ते का रंग अलग-अलग मिट्टियों में उगाने पर गाने पर अलग-अलग होता है।

लाल पत्ता गोभी को अम्लीय निजामी उगाने पर इसके पत्ते का रंग लाल होता है तथा जब हम से चेहरे में दाने हो जाते हैं तब इसके पत्ते का रंग पीलापन लिए हुए रहता है इसके इसी गुण के कारण इसका प्रयोग अम्ल क्षार की पहचान के लिए प्राकृतिक सूचक के रूप में किया जाता है।

लाल पत्ता गोभी के रस को अम्ल में मिलाने पर लाल रंग बदल जाता है तथा वही जब हम लाल पत्ता गोभी के रस को छान में मिलाते हैं तब यह हरे रंग में परिवर्तित हो जाता है।

हल्दी: –हल्दी एक प्राकृतिक सूचक है जिसका प्राकृतिक रंग पीला होता है, जब भी हम किसी कपड़े पर जिस पर हल्दी का दाग लगा हुआ होता है उसको हम साबुन से धोते हैं तो हम यह पाते हैं कि हल्दी का दाग भूरे रंग में बदल जाता है इसका कारण यह है कि साबुन छारी होता है जो हल्दी के रंग को भूरेलाल रंग में बदल देता है तथा यह भूरालाल रंग कपड़े के सूखने के पश्चात फिर से अपने पीले रंग में वापस आ जाता है।

जब हल्दी अम्ल के संपर्क में आता है तो वह अपने रंग में कोई बदलाव नहीं करता है अर्थात उसके रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है परंतु जब हम हल्दी को छाड़ के संपर्क में लाते हैं तो हल्दी का रंग भूरा हो जाता है।

हल्दी पेपर तैयार करने के लिए आपको चलना पत्र या सूखता पत्र को हल्दी के घोल में डूबा कर रखना होगा था पूछना पत्र या पत्र को सुखाने के बाद आप हल्दी पेपर को बड़ी आसानी से प्राप्त कर पाएंगे जिससे आप किसी पदार्थ के प्रकृति को पहचान सकेंगे।

कुछ अन्य प्राकृतिक सूचक ओं के नाम

  • प्याज
  • Venila
  • लौंग

2. मानव निर्मित सूचक ( synthetic indicators )

वे सूचक जिन्हें प्रयोगशालाओं में मानव द्वारा बनाया जाता है उन्हें मानव निर्मित सूचक कहा जाता है, हमने कुछ मानव निर्मित सूचक के नाम एवं उनके बारे में थोड़ी बहुत जानकारी बताई हैं, जो निम्नलिखित हैं :-

Phenolphthalene:-Phenolphthalene एक प्रकार का घोल है जो बिना रंग का होता है अर्थात यह एक रंगहीन घोल है।

Phenolphthalene को जब हम क्षार से मिलाते हैं, तो इसका रंग गुलाबी रंग का हो जाता है, लेकिन जब हम इसे उनके साथ मिलाते हैं, तब यह कोई रंग नहीं देता है अर्थात रंगहीन रहता है।

मिथाइल ऑरेंज(methyl orange):-यह एक प्रकार का तरल पदार्थ होता है जिसका मूल रंग नारंगी होता है, जिसे क्षार में मिलाने पर इसका रंग पीला हो जाता है,जब हम इसे अम्ल के साथ मिलाते हैं तब इसका रंग लाल हो जाता है।


FAQ’S :-

Q1. सूचक किसे कहते हैं ? – Suchak Kya Hai

Ans :- जिस वस्तु से हमें किसी पदार्थ के प्रकृति( क्षारीय/अम्लीय ) का पता चलता है, उसे सूचक कहते हैं।

Q2. सूचक कितने प्रकार का होता है ?

Ans :- सूचक दो प्रकार का होता है। 1. प्राकृतिक सूचक। 2. मानव निर्मित सूचक।

Q3. किसी एक प्राकृतिक सूचक का नाम बताइए

Ans :- लिटमस पेपर।

Q4. किसी एक कृत्रिम सूचक का नाम बताइए

Ans :- मेथिल ऑरेंज।

Q5. प्राकृतिक सूचक किसे कहते हैं?

Ans :- वे सूचक जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते हैं, उन्हें प्राकृतिक सूचक कहते हैं।

Q6. कृत्रिम सूचक किसे कहते हैं?

Ans :- वे सूचक जो मानव द्वारा बनाए जाते हैं, उन्हें कृत्रिम सूचक कहते हैं।

Q7. सूचक को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

Ans :- सूचक को इंग्लिश में indicator कहते हैं।

Q8. सूचक का एक उदाहरण दीजिए

Ans :- लिटमस पेपर।


निष्कर्ष:-

हम उम्मीद करते हैं, कि हमारे द्वारा लिखा गया, यह लेख Suchak Kya Hai जरूर आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ होगा और यदि आपको हमारे द्वारा लिखा गया लेख थोड़ा सा भी पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ साझा करें।

ताकि उन्हें भी ( सूचक क्या होता है ? – Suchak Kya Hai ) के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके और यदि आपके मन में इसलिए को लेकर कोई भी सवाल या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स का प्रयोग करना ना भूले।


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